लेखनी प्रतियोगिता -28-Jun-2023 औरंग मेडान
सुबह जब सूरज की रौशनी जमीन को छूती है तब वो रात के अँधेरे को दूर भगाती है , पृथ्वी के साथ इन्सान के जीवन में भी उजाला लाती है जैसा की आज सेंट लूसी पोर्ट यानि बंदरगाह (यानि वो स्थान जहा से नाव या स्टीमर वगेरह समुद्र यात्रा पर जाती है) पर था सूरज की रौशनी जबरदस्त थी , पोर्ट पर एक छोटा सा लकड़ी का पुल बना है जिस पर बैठ कर एक आदमी ने मछली फ़साने वाला काँटा पानी के अन्दर डाल रखा है और इन्तेजार कर रहा है अपने संभावित नाश्ते का सिर पर हैट और जैकेट से ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी जहाज का कप्तान हो , जिस पर उसका नाम लिखा था “मैकमिलन” । अभी अपनी फिशिंग का मज़ा ले ही रहा था की उसकी नजर पोर्ट से कुछ दूर खुले समुद्र में एक नाव पर गयी .. उस पर लिखा था “एस.एस. औरंग मेडान” । ये नाम पढ़ कर उसका गला सुख गया , उसकी आँखे फ़ैल गयी , उसके हाथ से फिशिंग रोड नीचे गिर गयी वो इतना घबराया हुआ था की उसका शरीर ढेर सारे पसीने छोड़ रहा था , वो तुरंत उठा और अपने कपडे के अन्दर से फ़ोन निकाला और अपने से एक बड़े अधिकारी को फ़ोन लगाया पर घबराहट इतनी थी की वो कुछ बोल ही नहीं पा रहा था
मैकमिलन – सर .. मै मैकमिलन .. सर .. मुझे वो दि... दिखा .. आज
अधिकारी – क्या दिखा तुम्हे मैकमिलन
मैकमिलन – सर मैंने अभी अभी सेंट लूसी ... पोर्ट ..पोर्ट से कुछ दूरी पर औरंग मेडान को देखा
अधिकारी – (लगभग चिल्लाते हुए) तुम पागल हो गए क्या .. वो ... वो शिप कैसे नजर आ सकती है वो तो ... वो तो .. (घबराहट हावी हो गया अधिकारी पे) 1948 में डूब चूका है .. ये नामुमकिन है .. तुमने सुबह सुबह चढ़ा ली है क्या ?
मैकमिलन – नहीं सर .. मै सच कह रहा हूँ .. मैंने .. मैंने अभी अभी उसे अपनी आँखों के सामने देखा है .. (उसने पोर्ट के उस तरफ नजर दौड़ाकर देखा की वो शिप अभी भी है या नहीं) .. वो अभी भी यही है और बहामास की ओर जा रही है पर उसकी रफ़्तार बहुत धीमे है
अधिकारी – अगर ये वही “एस.एस. औरंग मेडान” है जो 1948 की फरवरी या मार्च में डूब गया था तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं है .. मै अभी वहां पहुच रहा हु पर ध्यान रहे अगर तुम्हारी बात गलत निकली तो तुम्हारी नौकरी गयी
कुछ ही देर में अधिकारी सेंट लूसी पोर्ट पर पहुच गए और जब वो भी उस लकड़ी के पूल पर पहुचे तो दंग रह गए शायद उन्होंने लाइफ में इससे ज्यादा चौकाने वाली चीज नहीं दिखी होगी ये था “एस.एस. औरंग मेडान” जो उनसे कुछ ही मिल की दूरी पर बड़े शान से तैर रहा था ।
अधिकारी की साँसे ऊपर नीचे होने लगी उसने कनखियों से मैकमिलन की तरफ देखा जैसे वो जानना चाहते हो की क्या ये सच है .. और मैकमिलन भी कनखियों से अधिकारी की तरफ देख कर मानो यही कह रहा हो की हाँ सर “एस.एस. औरंग मेडान” वापस आ गया है
अधिकारी ने मैकमिलन को एक बोट तैयार करने को कहा पर मैकमिलन ने साफ़ मना कर दिया क्योकि मैकमिलन “एस.एस. औरंग मेडान” की कहानी जानता था पर अधिकारी के समझाने पर बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ हालाँकि मैकमिलन जाना नहीं चाहता था पर अपने बड़े अधिकारी के बात को टाल भी नहीं सकता था वो अनमने ढंग से वहां से गया और एक बोट ले कर आया जिसमे एक साथी नाविक भी था अधिकारी को हाथ देकर बोट पर बिठाया और बोट को तेज़ी से “एस.एस. औरंग मेडान” की ओर मोड़ दिया रास्ते में अधिकारी ने पूरी घटनाक्रम को बताने को कहा मैकमिलन ने बताया कि कैसे उसने मछली पकड़ने के दौरान उस जहाज को देखा
उस जहाज को दोनों ने अपनी निगाहे “एस.एस. औरंग मेडान” पर लगा दी वो अब भी पानी में बड़ी शांति से चल रही थी , कुछ ही समय में उनकी छोटी सी बोट “एस.एस. औरंग मेडान” के करीब पहुँच गयी मैकमिलन ने बोट की रफ़्तार को स्थिर किया ताकि दोनों नाव साथ साथ चल सके मैकमिलन ने साथी नाविक को इसी रफ़्तार पर चलाने को कहा अधिकारी और मैकमिलन “एस.एस. औरंग मेडान” पर चढ़ने की कोशिश करने लगे तभी छोटी से बोट को तेजी से झटका लगा और वो दोनों उछल कर मेडान पर गिरे और बोट और उस आदमी के “एस.एस. औरंग मेडान” के अचानक नीचे आ जाने से टुकड़े टुकड़े हो गए बोट के टूटने की आवाज़ इतनी जोरदार थी की उन्हें लगा कान के परदे फट जायेंगे दोनों को उस नाविक की मौत पर दुःख था लेकिन जब उन दोनों ने मुड़कर मेडान को देखा तो उनकी साँसे अटक गयी इसके डेक पे चारो तरफ कुर्सी और मेज़ करीने से लगे हुए थे सब पर कपडा लगाया गया था पर अचानक मैकमिलन को एहसास हुआ की मेजों के नीचे कुछ है और जब उसने मेज़ का कपडा हटा के नीचे देखा तो उसकी खौफ के मारे चीख ही निकल गयी और हडबडाकर पीछे की ओर गिर गया , अधिकारी ने कई मेजों से कपडे हटाये और फिर उन्हें जो दिखा वो डर पैदा करने के लिए काफी था क्योकि उन्हें मेजों के नीचे कपडे पहने हुए कंकाल मिला इंसानों का कंकाल .. वो चारो तरफ भय से देख रहे थे क तभी मैकमिलन को एक छोटे कंकाल के हाथ में डायरी मिली जिसके पन्ने लगभग गिले थे उसे खोला उसमे लिखा था एलिस की डायरी और साल छपा था 1948 फरवरी इस डायरी में शायद उस रात के राज हो सकते है ये सोचकर मैकमिलन ने पढ़ना शुरू किया ।
अध्याय – 1
निमंत्रण
मेरा नाम ऐलिस है और ये डायरी मेरी है ये मुझे मेरी दादी ने बर्थडे में गिफ्ट दिया था इसमें मै हर वो चीजे लिखूंगी जो मुझे अच्छी लगेगी , जनवरी का आखिरी सप्ताह चल रहा था जब मुझे ये खुशखबरी मिली , जब मै स्कूल से दौड़ते हुए घर पहुंची तो देखा बेडरूम में मेरे मम्मी और डैड बात कर रहे थे मै दौड़ते हुए पापा के पीछे पहुंची और उन्हें पीछे से पकड़ लिया वो मुझे देखते ही खुश हो गए और मुझसे कहा की एक खुशखबरी है .. मैंने पूछा क्या है तो मम्मी ने बताया आज सुबह कोई हमारे घर निमंत्रण पत्र दे गया है समुद्र की यात्रा का ये जहाज कोई एस.एस. औरंग मेडान नाम का है जो नीदरलैंड में बना है वो बहामास की यात्रा पर निकला हुआ है , और हमें अगले हफ्ते यानि फरवरी के 5 को हमें सेंट लूसी पोर्ट पर बुलाया है
मै ख़ुशी से झूम रही थी की ऐसा भी हो सकता है क्या की कल ही मैंने कही पापा से कही बाहर घुमाने की जिद की थी और आज ये खबर .. कसम से मै बहुत खुश हूँ और अभी से तयारी शुरू करने की सोच रही हूँ .. अभी मै तैयारी के बारे में सोच ही रही थी की मुझे टेड का ख्याल आया .. टेड मेरा छोटा और शरारती भाई है, और वो जबरदस्ती के चुटकुले सुना लोगो को हँसाने की कोशिश करता है पर जब कोई नहीं हस्ता तो वो लड़ाई शुरू कर देता है और मुझे उसकी इसी आदत से सख्त नफरत है मै नहीं चाहती की टेड भी हमारे साथ “सी ट्रिप” पर आये इसलिए मै अपने पेरेंट्स से कहने लगी की .. प्लीज़ टेड को ना ले जाए वो बहुत शरारतें करेगा पर उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे समझाया की टेड यहाँ अकेले नहीं रह पायेगा इसलिए टेड भी हमारे साथ ट्रिप पर चलेगा
मुझे बहुत गुस्सा आया पर मैंने कुछ नहीं कहा .. अरे मेरा परिचय तो रह ही गया मेरा नाम एलिस है और मै 11 साल की एक खूबसूरत लड़की हूँ हालाँकि टेड 9 साल का है पर वो खूबसूरत नहीं है हम्म .. मै और मेरा छोटा सा परिवार फ्लोरिडा के एक छोटे से शहर “ओरलैंडो” जिसकी काउंटी है “ऑरेंज” में रहते है यहाँ की गलियां बहुत ही खूबसूरत है और यहाँ के रहने वाले लोग भी .. मुझे सभी से मिलने में बहुत ख़ुशी होती है मुझे पड़ोस वाली मार्ली आंटी बहुत अच्छी लगती है वो मुझे हर बर्थडे पर एक बढ़िया ड्रेस दिया करती है .. और इस बार इस ट्रिप पर मैं उसे ही पहनुगी .. टेड पागल है मुझे नहीं लगता उसके पास मेरे जैसी कोई अच्छी ड्रेस होगी और होनी भी नहीं चाहिए हम्म ... मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते है पर वो काम क्या करते है मैंने कभी जानने की कोशिश नहीं की मुझे उनके काम से कभी कोई मतलब ही नहीं रहता .. क्योकि उनके पास मेरे लिए कभी समय ही नहीं होता इसलिए मै उनसे नाराज हो जाया करती थी और फिर मुझे मनाने के लिए ढेर सारी गिफ्ट लाया करते ..
मेरी मम्मी हाउसवाइफ है इसका असली मतलब बाद में पता चला हुआ यूं कि जब मार्ली आंटी ने एक बार मेरी मम्मी को कहा की आप हाउसवाइफ है तो मुझे लगा मम्मी को कोई गंभीर बीमारी है और मै रोने लगी फिर मम्मी ने समझाया की हाउसवाइफ का मतलब घर पर रहने वाली महिला होता है मै शांत हो गयी पर अगले कई हफ्तों तक टेड मुझे इसी नाम से चिढ़ाता रहा और वो तभी शांत हुआ जब पापा ने उसको खूब डॉंटा कसम से टेड को डांट खाते देख मुझे बहुत अच्छा लगा, मै रोज खिड़की पर लगे पर्दों से खेलते हुए सोचती की पता नहीं कैसा होगा जहाज का सफ़र कैलेंडर से तारीखों को एक–एक कर काटने लगी ताकि मुझे ज्ञात रहे की अभी ट्रिप पर जानने में कितना समय है मम्मी ने नयी ड्रेस, ज्वेलरी, और न जाने क्या क्या ख़रीदा और पापा ने भी घडी, शर्ट पैंट ख़रीदा बाद में मम्मी ने बताया की वो वो शर्ट पैंट नहीं टक्सीडो है ऊऊ कितना अजीब नाम है पर उतना अजीब नहीं लगा जब पापा ने पहन कर दिखाया वो बहुत ही अच्छे लग रहे थे हम सभी ने आखिरकार पैकिंग पूरी कर ली टेड के लिए भी कपडे आ गए मुझे अच्छा नहीं लगा ये देख कर हालाँकि मेरे लिए भी बहुत अच्छी ड्रेस आई फिर भी ..
अगली सुबह मम्मी – पापा दोनों ने अपने सारे काम जल्दी जल्दी निपटाए और दोपहर तक हम सभी तैयार हो गए .. पापा टक्सीडो में बहुत अच्छे लग रहे थे और मम्मी भी लम्बे गले वाला बड़ा सा महंगा गाउन पहना उसके साथ एक बड़ा सा मोतियों का हार, मेरा छोटा भाई टेड भी अच्छे कपडे पहन कर अच्छा दिखने लगा और मेरे लिए प्रिंसेस सिन्ड्रेला जैसी ड्रेस आई थी फिर जब चलने का समय हुआ तो हम सभी जल्दी से टैक्सी में आके बैठे मै, टेड और मम्मी पीछे बैठे थे और पापा आगे .. मैंने चलते वक़्त अपनी डायरी को भी साथ ले लिया था ताकि जो भी वहां देखू सब लिख लूँ बाद में जब स्कूल जाउंगी तो अपने साथी सहेलियों को खूब जलाऊंगी मैंने चलती गाडी से अपने घर को देखा और फिर आराम से यात्रा का आनंद लेने लगी पर काश मै आराम से यात्रा का आनंद ले पाती .. टेड इतने बुरे बुरे चुटकुले सुना रहा था की दिल कर रहा था की इसे अभी खिड़की से बाहर फेंक दू .. किसी तरह एक घंटे झेला पर ये जानकर ख़ुशी हुई की अब इसे नहीं झेलना पड़ेगा .. क्योकि हम पोर्ट पर पहुँच गए थे
अध्याय – 2
एस.एस. औरंग मेडान
मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार पोर्ट देखा था चारो तरफ नाव ही नाव टेड तो ख़ुशी के मारे पागल हो रहा था वो जल्दी से जल्दी शिप पर जाना चाहता था हम सभी टैक्सी से उतरे और अपना अपना सामान लेकर पोर्ट के अन्दर पहुचे वह देखा एक बहुत बड़ी सी जहाज सजा – धजा कर खड़ी की गयी है .. वो बहुत बड़ी थी हमारे घर के ऊचाई से भी ऊची और बहुत लम्बी भी मैंने देखा जहाज के पास खड़े एक अंकल को पापा कुछ टिकट जैसा दिखा रहे थे ये शायद वही निमंत्रण पत्र होगा जो पापा को मिला था वो दिखा कर ही शायद हमे अन्दर जाने की अनुमति मिले .. जब हम सीढियों से ऊपर जा रहे तभी मैंने जहाज पे एस.एस. औरंग मेडान लिखा देखा मुझे समझ नहीं आया की कोई भी ऐसा अपने जहाज का नाम क्यों रखेगा .. एकदम अजीब सा पापा ने मेरी नजरो को ध्यान से देखा और समझ गए की मै क्या देख रही है उन्होंने बताया की औरंग का मतलब इंडोनेशिया में “आदमी या इंसान” होता है और मेडान इंडोनेशियन आइलैंड का सबसे बड़ी सिटी है तो इसका अर्थ निकला “मेडान का इंसान या मेडान का आदमी” पापा ने बताया की उन्हें इस नाम पर बहुत आश्चर्य हुआ क्योकि अगर ये जहाज नीदरलैंड लैंड में बना है तो जिक्र इंडोनेशिया का क्यों है .. पर सच्चाई ये है की मुझे पापा की कोई भी बात समझ नहीं आई .. मै बस इतना जानती थी की मुझे ये नाम पसंद नहीं आया
सीढ़िया एक दरवाजे पर खत्म हुई दरवाजे से अन्दर गए तो देखा एक अंकल यहाँ भी खड़े दिखे उन्होंने पापा से कुछ माँगा उन्होंने देखा और अपने साथ चलने का इशारा किया .. मेरे लिए ये सब एकदम नया था .. मै और टेड साथ साथ चल रहे थे हमसे आगे मम्मी और पापा और वही अंकल थे अब हम संकरे से गलियारे से निकल रहे थे देखा एक सीढ़ी और है जो ऊपर ले जा रही है शायद छत पर ले जा रही हो .. पर हमने देखा की अंकल और आगे बढ़ गए और फिर एक जगह रुक गए उन्होंने चाभी से एक दरवाजा खोला और हम लोग अंदर चले गए .. अन्दर का नजारा अजीब था बहुत छोटा कमरा जिसमे 4 बेड थे , 2 दाए ऊपर नीचे और 2 बायीं तरफ .. बीच में एक बड़ा सा मेज़ जिसके बगल में फोल्डिंग वाली 4 कुर्सी रखी थी यानि ये खाने का टेबल था और बेड सोने के लिए और बाथरूम .. बाथरूम याद आते ही मेरा दिमाग ख़राब होने लगा क्योकि यहीं एक चीज थी जो मै टेड के साथ शेयर नहीं करना चाहती थी ।
पापा ने बताया की इसे केबिन बोलते है और हर केबिन के साथ एक बाथरूम साथ में रहता है मैंने चारो तरफ नजर दौड़ाई तो मुझे एक दरवाजा दिखाई दिया मैंने उसे खोला तो पाया की ये एक बाथरूम है .. उफ़ हद हो गयी .. मुझे रूम और बाथरूम दोनों टेड के साथ शेयर करना पड़ेगा .. मुझे बहुत गुस्सा आ रही थी मुझे लग रहा था की मै वापस घर चली जाऊ फिर ध्यान आया की न तो मेरे पास पैसे है और न ही पता घर कैसे जाउंगी .. मैंने घर जाने का इरादा छोड़ा और अपने कपडे बदल कर पापा के साथ केबिन से बाहर निकली और फिर जिस रास्ते आये थे उसी रास्ते वापस जाने लगे हमे वही सीढियाँ मिली छत पर जाने वाली .. पापा सीढियाँ चढ़ कर ऊपर जाने लगे .. मै भी पीछे – पीछे जाने लगी .. मुझे लगा छत पर पापा क्यों जा रहे है .. पर जब मै छत पर पहुंची तब मुझे अपने सभी सवालो के जवाब मिल गए दरअसल जिसे मै छत समझ रही थी वो छत जैसा ही था बस बहुत ज्यादा खुला हुआ था ढेर सारी टेबल लगायी गयी थी जिसे किसी महंगे कपडे से ढका गया था शायद गंदगी से बचाने के लिए मम्मी भी तो ऐसा ही करती है सोफे को गन्दा होने से बचाने के लिए उस पर पन्नी डाल देती है यहाँ भी कुछ ऐसा ही होगा मैं देख के दंग रह गयी, चारो तरफ खूबसूरत लाइटे जल रही थी कई अंकल काम कर रहे थे पर अजीब बात है सभी ने एक जैसी ड्रेस पहन रखी थी पापा ने बताया उन्हें नाविक या सेलर कहते है और वो सभी एक कप्तान का हुक्म मानते है कप्तान ही जहाज चलाता है और लोगो को सही सलामत उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाता है मेरे पल्ले इस बार भी कुछ खास नहीं पड़ा सिवाए इसके की कप्तान जहाज चलाता है अभी मै और पापा बात ही कर रहे थे की एक नाविक अंकल आये औ हमे नीचे जाने को कहा क्योकि उन्हें कम से कम 50 लोगो के लिए इस डेक को तैयार करना था मुझे अंकल की बात सुनकर झटका लगा मुझे लग रहा था की सिर्फ हमें ही बुलाया गया है पर अंकल कह रहे है की लगभग 50 और लोगो को भी बुलाया गया है ओफ्फो मै इश्वर से मनाने लगी की उन 50 लोगो में कोई भी मेरा दोस्त न हो मै और पापा नीचे आ गए और वापस केबिन में जाने लगे तभी मुझे वही अंकल दिखे जो हमें हमारे काबिन तक छोड़ने आये थे जो वो मेरे बगल से गुजरे तो पापा ने उनसे पूछ लिया की ये जहाज कब तक चलेगा तो अंकल ने कहा करीब 10 बजे तक जब सभी मेहमान आ जायेंगे .. उफ्फ रात के 10 बजे अभी तो उसमे 2 घंटे है हम तब तक क्या करेंगे , मै और पापा अपने रूम में पहुंचे तो देखा की टेड बायीं तरफ की सबसे ऊपर वाली बेड पर कब्ज़ा जमा चूका है मैंने आव न देखा ताव अपनी डायरी निकाली और दाए तरफ की ऊपर वाली बेड पर कब्ज़ा जमा लिया .. अब टेड का उतरा हुआ मुंह देखने लायक वो सोच रहा था की मै उससे मिन्नतें करुँगी जगह छोड़ने को हम्म .. मै क्यों करू उससे मिन्नतें मैंने देखा पापा मम्मी को कुछ समझा रहे है मैंने कनखियों से टेड की ओर देखा वो अपनी छोटी सी कार से खेल रहा था पर आज वो उतना खुश नही दिख रहा था जितना अक्सर खेलते वक़्त रहता है मैंने डायरी खोल कर आज के बारे में लिखना शुरू किया .. जो जो देखा .. जैसा जैसा याद आता जा रहा था सब कागज पर उतार दिया .. डायरी पर लिखते लिखते कब सो गयी मुझे पता ही नहीं चला
मेरी नींद रात के वक़्त तब खुली जब एक कानफोडू शोर हुआ .. वो आवाज़ इतनी तेज़ थी की लगा कही बम फटा हो .. पापा मम्मी को बता रहे थे की ये हॉर्न था जैसे गाडियों में होता है वैसा ही इसका मतलब ये है कि ये जहाज चलने को तैयार है .. अभी पापा की बात सुन ही रही थी की एक झटका लगा और ऐसा लगा की ये कमरा चल रहा है .. मै समझ गयी की जहाज चलने लगा है और अब ये बहामास पहुँच कर ही रुकेगा अभी मै खयालो में खोई हुई थी की तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी पापा ने दरवाजा खोला वो एक सेलर अंकल थे पापा से कुछ कहा और चले गए .. पापा ने दरवाजा बंद कर दिया और मम्मी से कहने लगे की हमें ऊपर बुलाया है वहां कोई दावत चल रही है, बच्चो को जगा लो ,दावत का नाम सुनते ही मेरी भूख और बढ़ गयी मैंने बगल में देखा टेड भी सो रहा था मै तेज़ी से उठी और तैयार होने लगी टेड को पापा ने जगा दिया जबकि मै सोच रही थी की वो सोता ही रहे और मै सब अच्छी चीजे चट कर जाऊं .. आखिर टेड भी थोड़ी देर में तैयार हो गया
हम सभी नए कपडे पहन कर रूम से बाहर निकले , पापा ने रूम को लॉक किया फिर हम साथ में चलने लगे , चलते हुए हम सभी डेक पर जाने वाली सीढ़ियों तक पहुचे और उस पर चढ़कर ऊपर जाने लगे .. सबसे ज्यादा खुश मेरा भाई टेड हो रहा था ।
अध्याय - 3
शाम की दावत
जब मै डेक पर पहुंची तो ऐसा नजारा देख कर दंग रह गयी करीब 40-50 लोग आये हुए थे कुछ लोग टेबल के पास लगी कुर्सी पर बैठे थे , कुछ लोग टहल घूम रहे थे , बाते कर रहे थे उन्हें देख कर आज शाम का डर एक भी फिर मुझ पर हावी हो गया की कही मेरा कोई दोस्त यहाँ न आया हो , हालाँकि टेड को इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता है वो पापा का हाथ छोड़कर एक तरफ भाग लिया .. मम्मी आवाज़ देती रही की इधर आ जाओ पर वो गायब हो गया भीड़ में कही .. पापा ने मम्मी से कहा की चिंता मत करो वो जहाज से उतरकर कही नहीं जा पायेगा .. फिर सभी घुमने लगे , एक दुसरे से परिचय करने लगे मै तो लोगो से मिलकर तंग आ गयी थी इसलिए मै भी धीरे से वहा से भाग निकली और खाने के टेबल पर पहुँच गयी उफ़ ऐसे आइटम देख कर मुंह में पानी आ गया मैंने झटपट एक प्लेट निकली और सभी अच्छी दिख रही आइटम को प्लेट में डाला और एक तरफ हो कर खाने लगी , अभी मैंने खाना शुरू ही किया था की मुझे टेड दिखाई दिया वो एक लड़की से बात कर रहा था और अपने नाक पर हाथ से छेद बना कर दिखा रहा था मै समझ गयी की टेड अपना सडा हुआ जोक सुना रहा होगा
जो कि कुछ ऐसे था “एक बार एक दोस्त ने दुसरे दोस्त से पूछा की क्या तुम एक छेद के अन्दर दो छेद डाल सकते हो दुसरे ने कहा नहीं .. तब पहले दोस्त ने अपने एक हाथ की पहली ऊँगली को अंगूठे से जोड़कर एक गोला बनाया और फिर उसे अपने नाक पर रख लिया हो गया एक छेद के अन्दर 2 छेद” हम्म .. मम्मी इस जोक पर खूब हसी थी पर मुझे इसमें हसने वाली कोई बात नजर नहीं आई , जिस तरह मै पागल हो जाती हूँ वो बेचारी लड़की भी हो जायेगी पर मैंने जब उसे टेड के सडे हुए जोक पर हस्ते हुए देखा तो.. मुझे बहुत गुस्सा आया और मै चुपचाप वहाँ से निकल गयी और एक कोने में खड़े हो कर खाने लगी अभी मै खाना खा ही रही थी की पार्टी में मुझे कुछ लोगो की चीख पुकार सुनाई दी अभी इसके पहले की मै कुछ समझ पाती मुझे पापा मिल गए और मुझे जल्दी से जल्दी से टेड को लेकर नीचे जाने को कहा मै पूछ पाती की ऐसा क्यों करू तब तक पापा ने कह दिया की जल्दी करो यहाँ एक दुर्घटना हो गयी है मै मम्मी को लेकर आता हूँ .. मैंने किसी तरह टेड को खोजा और नीचे ले कर रूम में आ गयी पर टेड मुझसे बहुत नाराज था इतना ज्यादा नाराज कि मुझसे बात ही नहीं करना चाह रहा था उसे लग रहा था की मै उसे जबरदस्ती नीचे लायी हूँ वो ये बात मानने को तैयार ही नहीं था की पापा ने उसे नीचे लाने को कहा वो भी तब जब वो कोई शरारत नहीं कर रहा था हमारे बीच अभी बहस चल ही रही थी की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई मैंने खोला तो देखा पापा और मम्मी दोनों थे वो दोनों घबरा रहे थे मम्मी मुझे देखते ही सिने से लगा लिया और फिर टेड को भी और फिर बिना कोई बात कहे हमें सोने जाने के लिए कह दिया गया
मै मन मारकर अपने बेड पर सोने चली गयी लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी क्योकि मै जानना चाह रही थी की आखिर हो क्या रहा है इसलिए मैंने सोने का नाटक किया और कान लगाकर मम्मी – पापा की बातो को ध्यान से सुनने लगी पर चारो तरफ चुप्पी थी थोड़ी देर में अचानक पापा की दबी सी आवाज़ सुनाई दी की “कप्तान को किसी ने मार दिया है और अब वाईस कप्तान इस जहाज को चला रहे है पर कप्तान कैसे मारा किसी को पता नहीं चला क्योकि उनके शरीर पर न तो कोई जख्म था और न ही किसी हथियार का निशान तो उनकी जान गयी कैसे ? पर इतना पता है की जहाज जल्द से जल्द वापस मुड जाएगा”
मेरा दिमाग भी घूम गया की पापा की बात सही है की कप्तान के मरने के बाद ये जहाज वापस वही पहुँच जाएगा जहा से आया है , मुझे कप्तान के मरने का दुःख है लेकिन उससे भी ज्यादा मेरी यात्रा का अचानक खत्म होने का भी दुःख है दिल तो कर रहा है की जिसने भी कप्तान को मारा है उस जहाज के बाहर फेंक दूँ ह्म्म्म मेरी छुट्टियाँ बर्बाद कर दी ।
अभी मैंने सोने की शुरुवात की ही थी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी .. पापा ने सहमे हुये हाथो से दरवाजे को खोला उन्हें बाहर एक सेलर दिखा उसने पापा को कुछ हड़बड़ी में बताया और तुरंत वह से एक तरफ भाग लिया , पापा ने दरवाजा बंद किया और मम्मी से बोले की एक और बुरी खबर है “इस सेलर का कहना है की जहाज में कोई कातिल घुस आया है जो पैसो और जेवरो के लिए लोगो को मार रहा है इसलिए हमें सावधान रहने को कहा गया” उफ़ एक और बुरी खबर अब क्या होगा , वो कितने लोग होंगे और क्या वो हमें भी मार देगा उफ्फ कितनी साड़ी बाते दिमाग में घूम रही थी जो मुझे बेचैन किये दे रही थी मेरे लिए रात काटना कितना मुश्क्किल हो रहा था मैंने धीरे से टेड की ओर देखा वो मजे से सो रहा था उसे पता ही नही था की यहाँ क्या क्या हो गया है ,मम्मी और पापा थोड़ी देर में सो गए पर मझे नींद ही नहीं आई मै पूरी जागती रही ।
सुबह के 5 या 6 बजे होंगे जब पापा की नींद खुली और वो दबे पाँव बाहर निकले बाहर के हालत जानने के लिए ,करीब आधे घंटे बाद जो वो वापस केबिन में आये तो उनके चहरे पे सदमे का भाव था उन्होंने आ कर मम्मी को उठाया और उन्हें बताया की कल रात सिर्फ कप्तान नहीं बल्कि कुछ और लोगो की भी जान चली गयी है हालाँकि मरने वालो में ज्यादातर क्रू मेम्बर थे पर एक चीज जो सभी में एक सामान थी वो थी मौत की वजह .. सभी के शरीर अजीब तरह से अकड गए थे उनकी आँखे खुली हुई थी और मुंह भी, ऐसा लग रहा है जैसे सदमे में मर गए हो ये काम किसी संकी कातिल का नहीं हो सकता था ये काम किसी और चीज का था
ये मेडान की यात्रा शुरू करने के अगला दिन था चारो तरफ ख़ामोशी ही ख़ामोशी थी कोई भी किसी पर भी भरोसा नही कर रहा था सब एक दुसरे को शक की निगाहों से देख रहे थे क्योकि सब को यही लग रहा था की कातिल कोई भी हो सकता है पापा के कहने पर किसी तरह मैंने और टेड ने नाश्ता किया हालाँकि टेड अब भी पहले की तरह मस्ती कर रहा था जैसे उसे किसी बात से कोई मतलब ही न हो और उसकी इस आदत पर मुझे भी गुस्सा आ रहा था पापा बता रहे थे की क्रू मेम्बर और हम लोगो को मिलाकर कम से कम 70 लोग थे और कल रात 6 लोगो की मौत हुई एक कप्तान , 4 क्रू मेम्बर और एक यात्री
कई लोग कप्तान के केबिन में जा कर वाईस कप्तान से ये गुजारिश कर चुके है की जहाज को वापस मोड़ लिया जाए ,वाईस कप्तान ने पूरी कोशिश की जहाज को घुमाने की पर जहाज को घुमाने वाला व्हील सिस्टम ख़राब हो चूका है ऐसे में सिर्फ पतवार से ही काम लिया जा सकता है कई लोगो ने पतवार से जहाज को घुमाने की कोशश की पर जहाज की रफ़्तार इतनी ज्यादा थी की पतवार किसी भी काम नहीं आया उल्टा वो टूट गया .. वाईस कप्तान ये कहकर लोगो को हौसला दिला रहे थे की ये जहाज आखिरकार जाएगा तो बहामास ही चिंता न करे वहा पहुँच कर जहाज को रोक लिया जाएगा पर लोगो की चिंता खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी और चिंता खत्म होगी भी नही क्योकि इस जहाज पर एक अनजान कातिल है पता नहीं क्यों लोगो को मार रहा है
बड़ी मुश्किल से लोगो का वक़्त गुजर रहा था ,अपने परिवार की चिंता सभी के चेहरे पर थी ऐसा लग रहा था जैसे हम सब अपने साथ घट रही घटना के कारण मजबूर थे कोई कुछ नहीं कर पा रहा था तभी पापा ने एक पहल की उन्होंने कहा की आइये एक दुसरे से जान – पहचान कर ले ताकि अगर मुसीबत आये तो एक दुसरे की मदद कर सके
पापा की बात लोगो ने सुनी कुछ देर तक रुकने के सभी आपस में जान – पहचान करने लगे उन्होंने सबसे उनके घर का पता पूछा सभी फ्लोरिडा के निकले ..हालाँकि स्थान अलग अलग है कोई “फोर्ट माएर्स” का था कोई “की वेस्ट” का ,तो कोई “ब्रिस्टल”, जिस यात्री की कल मौत हुई वो “मियामी” का था पर क्या ये केवल एक संयोग हो सकता है की सभी यात्री फ्लोरिडा से ही हो पापा ने और कुछ जानने की कोशिश की जैसे कहा काम करते है , शौक क्या क्या है पर उन्ही कोई भी ऐसा सुराग का पता नहीं चला जिससे पता चले की ये हत्या क्यों की जा रही है।
पापा और मै साथ में वापस केबिन में आये और आराम करने लगे असल में पापा कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोशिश कर रहे थे वो हर हाल में कातिल को पकड़ना चाह रहे थे
कातिल को पकड़ना तो मै भी चाहती हूँ पर कैसे ? जिसे आप जानते न हो कभी मिले न हो उसे आप चंद सुरागो से कैसे खोजेंगे मैंने अपनी डायरी बाहर निकल ली और उस पार आज जो घटना घटी वो लिखने लगी अभी मैने लिखना शुरू ही किया था पापा अचानक उठ खड़े हुए और जल्दी से बाहर की ओर निकल गए , मुझे समझ ही नहीं आया की पापा इतनी जल्दबाजी में कहा गए है , मैंने अपना ध्यान फिर से डायरी लिखने में लगाया अभी 2-4 लाइन लिखी होगी की तभी दरवाजा खुल गया मैंने देखा दरवाजे से मम्मी और टेड अन्दर आ रहे है वो काफी परेशान और चिंतित लग रहे थे टेड आते ही मुझसे पूछा की पापा कहा है मैंने भी कह दिया की वो कब का बाहर चले गए है ।
मम्मी की चिंता और बढ़ गयी वो परेशानी में कमरे में टहलने लगी तभी फिर दरवाजे पर दस्तक हुई मम्मी ने खोला दरवाजे पर पापा थे वो तेज़ी से अन्दर आये और मम्मी से धीरे से कहा की कातिल ने उन 6 लोगो को क्यों मारा, पापा की बात सुनकर मम्मी की चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी उन्होंने इशारे से कहा बच्चे अभी भी जाग रहे है पर पापा ने अपनी बात जारी रखी उन्होंने मम्मी को बताया की कातिल सिर्फ उन्ही को मार रहा है जिनका जन्मदिवस 13 जुलाई को पड़ता है
ये खबर सुन कर मम्मी का चहरा पीला पड गया पर 13 ही क्यों मम्मी के पूछने पर पापा ने बताया की ये तो उन्हें नहीं पता लेकिन उन्होंने जहाज पर मौजूद सभी लोगो के जन्मदिवस को एक कागज पर लिख लिया और मैंने पाया की 13 जुलाई वालो की ही हत्या हो रही है मम्मी ने पूछा और कितने है 13 जुलाई वाले तो पापा ने दबी जुबान में कहा – “लगभग सभी”
अध्याय – 4
कातिल कौन ?
पापा ने ये बात सभी को बता दी की जो कातिल है वो सिर्फ 13 जुलाई के जन्मदिवस वालो को मार है ये खबर सुनकर 13 जुलाई वाले जितने भी लोग थे सब सदमे में आ गए पापा ने कई लोगो को मिलकर एक टीम बनायीं जिनका काम 13 जुलाई वाले लोगो को सुरक्षा प्रदान करना था पहले तो कोई तैयार ही नहीं हुआ पर जब पापा ने उन्हें समझाया की हो सकता है वो अपना इरादा बदल दे और सब लोगो को मार दे इसलिए उसे पकड़ने में मदद करिए
रात के 8 बजते ही जिन लोगो का जन्मदिवस 13 को नहीं था वे सभी ड्यूटी पर आ गए और 13 जुलाई वाले लोगो के कमरे के सामने पहरा देने लगे , धीरे धीरे रात गहराने लगी और पहरा दे रहे लोगो को निंद आने लगी पापा को भी लगने लगा की शायद उनका सोचना गलत था और अब वो कातिल उन्हें नही मारेगा लेकिन तभी हमला हो गया बड़ी मुश्किल से लोगो ने उस व्यक्ति को पकड़ा वो भी क्रू मेम्बर में से एक था जांच पड़ताल करने पर पता चला वो संकी कातिल था एक साइको किलर जो सिर्फ 13 तारिक वालो को खोज खोज कर मार रहा था क्योकि एक वकील ने उसे जेल में डाला था पर एक एक्सीडेंट में वो उसका नाम भूल गया था सिर्फ उसका जन्मदिवस ही याद था इसलिए उसने सभी को बुलाया जिनके जिनके 13 जुलाई को बर्थडे आता है लेकिन वो किसी को जान से मार ही नहीं पाया क्योकि वो किसी बेगुनाह को मारन नहीं चाहता था और वो ये भी नहीं जनता की ये खून किसने किये शायद उस भूत ने जो यहाँ रहता है सभी उसे मार पीट कर बाँध ही रहे थे की तभी एक धुंध सी आई और पुरे कमरे मै फ़ैल गयी और उस आदमी का शरीर अकड़ गया .. और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी ये देख कर लोग सहम गए तभी उस कमरे के कौने से और ढेर सारी धुंध निकली और पुरे जहाज को अपने आगोश में ले लिया सबसे पीछे खड़ा क्रू मेम्बेर तेज़ी से भागता हुआ कप्तान के केबिन में घुसा और इमरजेंसी का सन्देश अपने सीनियर के पास भेजा .. लेकिन जब तक कोई मदद आती तब तक सब खत्म हो चुके थे उस धुंध ने सबको निगल लिया था .. मैकमिलन का दिम्माग सुन्न पद गया उसे समझ ही नहीं आया क्या किया जाए की तभी उसे एक पुलिस रिपोर्ट की याद आई जिसमे लिखा था की जांच करता ने 2 दिन उस जहाज को खोज लिया था उन्हें तब भी कोई भी जिन्दा नहीं मिला था लेकिन जब रिकॉर्ड खंगाला गया तो वो कही नहीं मिला कही जिक्र नहीं मिला औरंग मेडान का नीदरलैंड में भी नही पुलिस अधिकारियो को जांच में ये पता चला की शायद जहाज में कोई ऐसा केमिकल होगा जो अचानक फ़ैल गया होगा
अभी वो सोच ही रहा था तभी उसे जहाज के नीचे धमाके होने की आवाज़ सुनाई दी और इसके पहले कोई कुछ कर पता जहाज एक बार फिर से डूब गया , मैकमिलन और उसके अधिकारी को लेकर
मोरल – अंजान निमंत्रण पत्र पर कभी प्रतिक्रिया न करे , ये जानलेवा हो सकता है ।
HARSHADA GOSAVI
05-Jul-2023 09:58 AM
true words
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Aliya khan
30-Jun-2023 01:13 AM
सही kaha
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Babita patel
29-Jun-2023 02:46 PM
nice
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